Honest Adipurush Review: is it Rate Up👍or Down👎 ?

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     आज हम बात कर रहे हैं आदिपुरुष फिल्म के बारे में। "आदिपुरुष" के फर्स्ट लुक ने काफी criticisms का सामना किया था। उसके बाद इसमें काफी बदलाव किए गए, लेकिन main चीजें जैसी ही बनी रहीं। यह clear है कि VFX के मामले में फिल्म एक विजुअल ट्रीट साबित होती है, लेकिन CJI में कुछ mistake रह गई हैं। 2D में VFX और CJI का काम effective नहीं होता है, जबकि 3D में यह बहुत बेहतर लगता है। सबसे बड़ी समस्या स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स में आती है। मनोज मुंतशिर द्वारा लिखे गए डायलॉग्स में राघव और रावण के चरित्र समृद्ध होते हैं जैसे, "जानकी में मेरे प्राण बसते हैं और मर्यादा मुझे अपने प्राणों से भी प्यारी है।" वहीं दूसरी ओर, बजरंग (actor देवदत्त) और इंद्रजीत (actor वत्सल सेठ) 'तेरी बाप की जलेगी', 'बुआ का बगीचा समझा है क्या?' जैसे संवाद बोलकर उपहास का पात्र बन जाते हैं।

    निर्देशक ओम राउत ने इसे मॉडर्न लुक देने के लिए रावण की लंका को Graish Castle लुक दिया है, जो रावण की सोने की चमकती हुई लंका के opposite 'हैरी पॉटर' या 'गेम ऑफ थ्रोन्स' के किले की तरह दिखते हैं। फिल्म का तीन घंटे का रन टाइम तब और खाली जगह लेता है, जब सेकंड हाफ में कहानी सिर्फ VFX से सजे राम-रावण के युद्ध में सिमटकर रह जाती है। हालांकि इंटरवल से पहले कहानी विजुअल इफेक्ट्स के साथ अच्छी लगती है। डायरेक्टर ने अहिल्या, मेघनाद वध जैसे रामायण के कई प्रसंगों को छोड़ दिया है। बाली और सुग्रीव को वानरों का pure रूप दिया गया है, लेकिन रावण के लुक, कॉस्ट्यूम और उसके weapons  को थोड़ा ज्यादा ही मॉडर्नाइज़ किया गया है। रावण को एक पिशाच जैसे जीव की सवारी करते दिखाया गया है, उसके अस्त्र-शस्त्र "गेम ऑफ थ्रोन्स" की याद दिलाते हैं।

    संचित-अंकित बल्हारा द्वारा तैयार किए गए बैकग्राउंड स्कोर बहुत शानदार है, लेकिन अजय-अतुल के संगीत में गाने उतने कमाल के नहीं बन पाए हैं। हाँ, 'जय सियाराम राजाराम' और 'तू है शीतल धारा' सुनने में बहुत अच्छे लगते हैं।
    एक्टिंग के मामले में प्रभास ने राघव का किरदार संयमित और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में बहुत अच्छी तरह निभाया है। रावण के रूप में सैफ अली खान बहुत अच्छे लग रहे हैं, लेकिन डिजिटल टेक्नोलॉजी से उनकी कद को थोड़ा ज्यादा ही विशालकाय दिखाया गया है। जानकी के रूप में कृति सेनन अद्भुत रही हैं। वे खूबसूरत दिखती हैं और acting की perspective से भी शानदार हैं, लेकिन उन्हें उतनी स्क्रीन स्पेस नहीं मिली है। लक्ष्मण के रूप में सनी सिंघ धीमी गति में दिख रहे हैं, जिसके कारण लक्ष्मण को पहचानना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। बजरंग के रूप में देवदत्त ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। इंद्रजीत की भूमिका में वत्सल सेठ को अच्छा स्क्रीन स्पेस मिला है, और उन्होंने इसे बहुत उत्कृष्टता के साथ निभाया है। मंथरा के रूप में आरूशि शर्मा बहुत अच्छी हैं और उनका अभिनय काफी उच्चस्तरीय है।


    यह एक मार्गदर्शक फिल्म है जो आपको रामायण की कहानी को नए रूप में देखने का मौका देती है। विजुअल इफेक्ट्स, सेट डिजाइन और बैकग्राउंड स्कोर इस फिल्म को देखने योग्य बनाते हैं। हालांकि, कहानी और डायलॉग्स में कुछ कमियाँ होने के बावजूद, 'आदिपुरुष' एक देखने योग्य फिल्म है जो आपको मनोरंजन का अच्छा अनुभव प्रदान कर सकती है।


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